मंगलवार, 23 फ़रवरी 2010

॥ कथं ’संस्कृतं’ संस्कृतम् ॥ (विशिष्टभाषाक रूप में संस्कृत:- एक विमर्श)

॥ कथं ’संस्कृतं’ संस्कृतम् ॥
(विशिष्टभाषाक रूप में संस्कृत:- एक विमर्श)

संसारक प्राचीनतम उल्लिखित भाषाक रूप में संस्कृत प्रथित अछि। संस्कृत शब्द दू शब्द “सम्” (अर्थात्, सम्पूर्ण) और “कृतम्” (अर्थात्, कयल गेल) (सम्+कृ+क्त) सऽ मिलकें बनल अछि| एहि शब्द क अर्थ होइत अछि- सम्पूर्ण, त्रुटिहीन| अन्यान्य भाषाक नामकरण क्षेत्रादिक नाम पर कयल गेल अछि मुदा संस्कृतक नामकरणक हेतु एकर संस्कारयुक्त होयब छैक। एतय संस्कारयुक्त होयबाक तात्पर्य एकर परिष्कृत व्याकरण, सरलता एवं वैज्ञानिकता छैक। संस्कृत कें विशिष्ट स्थान प्रदान करय बला किछु अन्यान्य कारक सेहो छैक जेकरा अधोलिखित बिन्दुक माध्यम सऽ निर्दिष्ट कयल जा सकैत अछि-
• भाषावैज्ञानिक अध्ययन मे एकर प्रभूत योगदान (सन्दर्भ हेतु ऋग्वेद १/१६४/४५, ४/५८/३, १०/७१/१-२-३, १०/११४/८, यजुर्वेद १९/७७, अथर्ववेद९/१०/२-२१ द्रष्टव्य)।
• प्रमुख प्राचीन ज्ञान-विज्ञान, कला, पुराण, काव्य, नाटक आदिपरक ग्रन्थक संस्कृत में निबद्धता।
• हिन्दू धर्मक लगभग सबटा धर्मग्रन्थ संस्कृते मे निबद्ध अछि।
• एकताकऽ शिक्षा देनाई।
• संस्कृत भाषा क व्याकरण अत्यन्त परिमार्जित एवं वैज्ञानिक अछि। संस्कृत हेतु प्रथित व्याकरण अछि पाणिनि अष्टाध्यायी जे एकरा कम्प्यूटर फ्रेण्डली भाषा होयबा मे योगदान देलकैक।
संस्कृत भाषा कऽ वैशिष्ट्य-
• अक्षर कऽ उच्चारण-
संस्कृत में प्रत्येकव्यंजनक उच्चारण हेतु स्वरक योग सर्वथा अपेक्षित रहैत छैक। संगहि उच्चारणक वैशिष्ट्य ई अछि जे कतहु व्यतिक्रम नहि होइत अछि। उदाहरण हेतु ’अ’ कऽ १८ भेद होइत अछि। व्यतिक्रम नहिं भेलाक कारणे उच्चारण वैषम्य नहिं दृष्टिगत होइत अछि। एहि भाषाक विपरीत आंग्ल आदि में ई व्यतिक्रम स्पष्टतः दष्टिगत होइत अछि। उदाहरणतः come (कम) और coma(कोमा) मे ‘co’ क दू टा भिन्न भिन्न उच्चारण भेटैत अछि|

• संस्कृत शब्दक निर्माण-
संस्कृत मे धातु-रूप, शब्द-रूप, प्रत्यय, उपसर्ग, और सन्धि आदिक सहायता सँऽ नवीन शब्द क निर्माण सरल अछि| संस्कृत मे शब्दो क निर्माण पूर्णतः वैज्ञानिक ढंग सँऽ कयल जाइत अछि|।
• व्याकरण-
एकर व्याकरण आओर वर्णमाला कऽ वैज्ञानिकता क कारण सर्वश्रेष्ठता स्वयंसिद्ध अछि। प्राचीन काल हो या आधुनिक काल, उत्तर भारत हो या दक्षिण भारत, संस्कृत का व्याकरण अपरिवर्तित रहल अछि|
• प्राचीनता
वैदिक ग्रन्थक प्राचीनता निर्विवाद रूप सँ स्वीकृत अछि। अस्तु संस्कृत हजारो वर्ष पहिने स विद्यमान अछि।
• संस्कारित भाषा-
संस्कृत केवल स्वविकसित भाषा नहीं थीक, अपितु संस्कारित भाषा अछिएहि कारण एकर नाम संस्कृत अछि। संस्कृत कऽ संस्कारित करय बला छथि महर्षि पाणिनि; महर्षि कात्यायिनि और योग शास्त्र क प्रणेता महर्षि पतंजलि ।
• सरल भाषा-
सामान्य रूप सँऽ संस्कृत वाक्य में शब्द कें कोनो क्रम में रखल जा सकैत छैक। जाहि सँऽ अर्थक अनर्थ नहिं होइत छैक। ई एहि कारण संभव छैक जे एतय प्रत्येक पद वैज्ञानिक तरीका (समुचित विभक्ति आदिक संग) सँ राखल गेल होइत छैक।उदाहरणतः – अहं गृहं गच्छामि या गच्छामि गृहं अहम् दुनू ठीक छैक।
• त्रुटिहीन भाषा-
ई भाषा संगणक आओर कृत्रिम बुद्धि क लेल सबसँऽ उपयुक्त भाषा मानल जाइत अछि। संस्कृत व्याकरण तर्कशास्त्रीय दृष्टि सँऽ उपयुक्त अछि अस्तु मशीनक भाषाक लेल पूर्णतः उपयुक्त अछि| Forbes magazine, (July, 1987) केर अनुसार “Sanskrit is the most convenient language for computer software programming.” [ref - http://www.stephen-knapp.com/indian_contributions_to_american_progress.htm]
• मष्तिष्क विकास
आधुनिक शोध सँऽ ई स्पष्ट अछि जे संस्कृतक अध्ययन स मानसिक दृढता और स्मरणशक्तिक विकास होइत अछि। [ref-http://www.galendobbs.com/theck/sanskrit.html]
• एकताक निर्वाहक-
संस्कृते एहेन भाषा अछि जे भाषाविवाद कें प्रश्रय नहिं दैत अछि। ई एकता केर गीत सुनवैत अछि।
अस्तु उक्त विविध बिदुक माध्यम सँऽ एतेक निर्विवाद अछि जे संस्कृत विशिष्ट भाषाक रूप में विद्यमान अछि। एकटा प्रवाद सतत सुनवा में अबैत अछि जे संस्कृत आब मृतप्राय अछि; एहि सन्दर्भ में विभिन्न सन्दर्भक संग भ्रान्ति दूर करबाक प्रयास करब हम आगामी लेख में। ता धरि विभिन्न राजनेता द्वारा संस्कृत में शपथग्रहण करब, संस्कृत लेल जनमानस द्वारा समस्त वसुधाक अखण्ड मानैत कयल जारहल प्रयास आदि अपनें लोकनि कें उक्त प्रवादक जाल में फँसवा सऽ वारित करत संगहि http://sanskritam.ning.com/ ई अन्तर्जाल श्रोत संस्कृतक जीवन्तताक झांकी प्रस्तुत करत।
बिपिन झाhttp://sites.google.com/site/bipinsnjha/home

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