मंगलवार, 16 फ़रवरी 2010

युवा हेतु प्रेमक "समुचित मार्ग"। (वेलेण्टाइन डे विशेष पर)

 
बिपिन झा
युवा हेतु प्रेमक "समुचित मार्ग"।
(
वेलेण्टाइन डे विशेष पर)
 
प्रेम दिवस एकदा मन्यते यत्र रक्तपातोऽल्पि कारयति,
वर्षस्य प्रतिदिवस घ्रृणादिवस सम कुर्वन्न शर्म लभते।
न कोऽपि कथयति तं किमपि, यः वितरति विषयुक्ता हाला,
किन्तु सर्वे निन्दन्ति यदा मधु वितरति मधुशाला॥


सामान्यतया ई देखल जाइत अछि जे प्रेम दिवस अर्थात वेलेण्टाइन डे दिन यदि कोई विशेष उत्साह रखैत अछि तऽ समाज नीक नहि बुझैत छैक। एतय प्रश्न उठैत अछि जे प्रेम केर इजहार करब उचित वा अनुचित? एहि सन्दर्भ में जहाँ तक हमर दृष्टि अछि - प्रेम जीवन केर महत्त्वपूर्ण शक्ति छियैक जे भावना पर आश्रित होइत छैक। आब एतय प्रश्न स्वाभाविक अछि जे प्रेमक अभिव्यक्ति केना हो? एतय सजतया अपन विचार के प्रस्तुत करवाक लेल हम गीता केर भक्ति कर्मकेर अवधारणा क माध्यम बना रहल छी। यदि निष्पक्ष भाव सँ देखल जाय तऽ प्रेम क्यल नहि जाइत छैक सहजतया भय जाइत छैक (we 'fall in love' not 'get it'). एहि स्थिति में समस्त प्रेमी के भक्तिमार्ग आ कर्ममार्ग में बिभक्त कय सकैत छी। भक्ति मार्ग में जतय व्यक्ति एकता दास जकाँ समर्पित भाव सँ काज करैत छैक ओतहि कर्म मार्ग में व्यक्ति स्वामी जकाँ आचरण करैत छैक। भक्ति मार्ग केर अपनबै बला प्रेमी विविध भावनानुकूल आचरण करैत छथि ओतहि कर्ममार्ग केर श्रेयस्कर बुझयबला मैत्री आ आनन्द केर अनुगमन करैत छथि। ई शब्दावली यदि आंग्ल पर्याय रूप में देखी तऽ विशेष स्पष्ट होयत।
उक्त दुनू मार्ग एकांी दृष्टिगत होइछ। यदि दुनू केर समन्वय  कय प्रेम केर गाडी आगू बढायल जाय तऽ ओ प्रेम निश्चित रूप सँ सफल होयत एहि में कतहु सन्देह नहि।

प्रेमक मह्त्त्व बुझैत सन्त वेलेण्टाइन अपन जीवन एहि कार्य हेतु युवा के प्रेरित करबा लेल अपन जीवन कें सर्वस्व न्यौछावर कय देलथि। राजा केर अवज्ञाक कारण हुनका मृत्युदण्ड भेटलन्हि।

एतय एकटा गप्प कहब अनिवार्य बुझैत छी जे वर्तमान समय में एहि पावन अवसर के अनुचित प्रयोग होइत अछि। अस्तु युवा वर्ग कें एहि दिस ध्यान देव अत्यावश्यक जे  प्रेम दिवस कें नैतिकता क संग प्राणी मात्र हेतु मनायल जाय। आओर बुजुर्ग सँ आग्रह जे एहि पावन दिवस कें संकुचित दृष्टि सँ नहि देखि एकरा उत्साह क संग मनेवा हेतु युवा वर्ग कें प्रेरित करथि।
(
लेख केर कोनोशब्द जनभावना के ठेस पहुँचवैत हो ओहि लेल सतत क्षमाप्रार्थी छी)

बिपिन झा, पी एच. डी स्कालर
आय. आय. टी. मुम्बई
http://sites.google.com/site/bipinsnjha/home

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें